Tuesday, September 08, 2009

साईं कथन .....


जय साईं राम


बाबा सदैव कहा करते थे कि जो दूसरों को पीड़ा पहुँचाता है, वह मेरे हृदय को दुःख देता है तथा मुझे कष्ट पहुँचाता है इसके विपरीत जो स्वयं कष्ट सहन करता है, वह मुझे अधिक प्रिय है बाबा समस्त प्राणयों में विघमान है और उनकी हर प्रकार से रक्षा करते है समस्त जीवों से प्रेम करो, यही उनकी आंतरिक इच्छा है इस प्रकार का विशुद्घ अमृतमय स्त्रोत उनके श्री मुख से सदैव झरता रहता था अतः जो प्रेमपूर्वक बाबा का लीलागान करेंगे या उन्हें भक्तिपूर्वक श्रवण करेंगे, उन्हें साई से अवश्य अभिन्नता प्राप्त होगी

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