बिना ईश्वर में अटूट विश्वास के जीवन नीरस,सुना तथा हताशा और असफलता की काली रात बन जाती है। परमेश्वर के प्रति प्रेम और पाप का डर ये दोनों एक सुखी जीवन के लिए प्राथमिक आवश्यकता है। इन दोनों के बिना मनुष्य राक्षस बन जाता है। मनुष्य को विश्व के लिए अपने स्वार्थी जरूरतों का बलिदान करने के लिए तैयार होना चाहिए। त्याग से बढ़कर कुछ भी नहीं है। ईमानदार, त्यागी तथा ह्रदय में ईश्वर आपको अपने कर्तव्यों के निर्वहन में प्रतिभा और कौशल का उपयोग करने देगा। आपको अपने अकेले की खुशी के लिए नहीं बल्कि सभी की खुशी के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। ~ बाबा
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