Sunday, August 30, 2009

आज का विचार

संकीर्ण विचारों और भावनाओं से ऊपर उठकर मनुष्य को सभी के प्रति सुहानुभूति दिखाना चाहिए। दया भक्ति की पहचान है। मनुष्यों के प्रति दया भावः रखे बिना भगवान से कृपा की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। प्रेम से भरा ह्रदय परमेश्वर का मंदिर है। भगवान ह्रदय में दया के बिना नहीं रह सकते हैं। प्रेम दृष्टी (सार्वभौमिक प्रेम से रंगी हुई दृष्टि) से बढ़कर दुनिया में कुछ भी नहीं है। इसके द्वारा ही अकेले विविधता में एकता को स्पष्ट देखा जा सकता है। लोगों को पता होना चाहिए कि उनके अन्दर ईश्वर का उत्साह हैं। उन्हें पवित्र विचारों का विकास करके आदर्श जीवन जीना चाहिए। उन्हें समाज के कल्याण को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए। ~ बाबा

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